Not known Details About Shiv chaisa
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ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
It is made of forty verses (chalisa), published in the Hindi language. The chalisa is structured in a poetic structure and is widely recited by devotees as a method to praise and find blessings from Lord Shiva.
अर्थ: हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम more info ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा
स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन